Mahakumbh 2025 जानें कितने साल पुराना है इसका इतिहास :

महाकुंभ का इतिहास –
Mahakumbh 2025 इतिहास बहुत पुराना है। कुछ ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना गया है कि सतयुग में पहला कुंभ का मेला आयोजित हुआ था। जिसकी शुरूआत शंकराचार्य ने की थी। वहीं कुछ का मानना है कि समुद्र मंथन के बाग कुंभ मेले की शुरूआत हुई थी। इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं मिलती। विद्वानों की माने तो कुंभ की परंपरा हजारों साल पुरानी है। महाकुंभ का ऐतिहासिक उल्लेख प्राचीन शिलालेखों से भी मिलता है। वहीं 600 ईपू में बौद्ध लेखों में नदी मेलों की उपस्थिति का प्रमाण मिलता है।
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कैसे हुई थी महाकुंभ की शुरूआत ?
समुद्र मंथन के समय जब देवता और राक्षस अमृत कलश के लिए युद्ध कर रहे थे तो इंद्र भगवान के पुत्र जयंत अमृत कलश लेकर भाग गए। राक्षस भी उनके पीछे कलश को लेने के लिए भागे। इस दौरान राक्षस और देवताओं में युद्ध हुआ। जयंत जब अमृत कलश लेकर भागे तो अमृत कलश से कुछ बूंदे इन चार स्थानों पर गिरी जहां आज के समय में महाकुंभ का आयोजिन होता है। प्रयागराज, उज्जैन, नासिक, हरिद्वार पर तभी से कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।
Mahakumbh 2025 –
भारत का सबसे भव्य मेला कुंभ है, जिसे हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। साल 2025 में महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। जिसकी शुरूआत 13 जनवरी से हुई थी। अगले 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ की शुरूआत पौष पूर्णिमा के दिन से होती है और महाशिवरात्रि यानि 26 फरवरी के दिन इसका समापन होता हे। हिंदू ग्रंथो में कुंभ मेले को ‘अमरत्व का मेला’ कहा गया है। इसीलिए कुंभ के मेले में अपनी अन्तरात्मा की शुद्धि के लिए लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थान पर स्नान करने के लिए आते हैं।