Chhatrapati Shivaji Maharaj history : श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास

जन्म : 19 फरवरी 1630
मृत्यु : 3 अप्रैल 1680
भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं। बहुत से लोग इन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन् 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में हुआ। कुछ लोग 1627 में उनका जन्म बताते हैं। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था।
शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है। राष्ट्र को विदेशी और आतताई राज्य-सत्ता से स्वाधीन करा सारे भारत में एक सार्वभौम स्वतंत्र शासन स्थापित करने का एक प्रयत्न स्वतंत्रता केअनन्य पुजारी वीर प्रवर शिवाजी महाराज ने भीकिया था। इसी प्रकार उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। महाराणा प्रताप की तरह वीर शिवाजी राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे। आओ जानते हैं श्रीमंत छत्रपति वीर शिवाजी के बारे में।

1674 की ग्रीष्म ऋतु में शिवाजी ने धूमधाम से सिंहासन पर बैठकर स्वतंत्र प्रभुसत्ता की नींव रखी। दबी-कुचली हिन्दू जनता को उन्होंने भयमुक्त किया। हालांकि ईसाई और मुस्लिम शासक बल प्रयोग के जरिए बहुसंख्य जनता पर अपना मत थोपते, अतिरिक्त कर लेते थे, जबकि शिवाजी के शासन में इन दोनों संप्रदायों के आराधना स्थलों की रक्षा ही नहीं की गई बल्कि धर्मान्तरित हो चुके मुसलमानों और ईसाईयों के लिए भयमुक्त माहौल भी तैयार किया। शिवाजी ने अपने आठ मंत्रियों की परिषद के जरिए उन्होंने छह वर्ष तक शासन किया। उनकी प्रशासनिक सेवा में कई मुसलमान भी शामिल थे।
पत्नी और पुत्र : छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन् 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुना में हुआ था। उनके पुत्र का नाम सम्भाजी था। सम्भाजी (14 मई, 1657- मृत्युः 11 मार्च, 1689) शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे, जिसने 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया। शम्भुजी में अपने पिता की कर्मठता और दृढ़ संकल्प का अभाव था। सम्भाजी की पत्नी का नाम येसुबाई था। उनके पुत्र और उत्तराधिकारी राजाराम थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र : संभाजी को विश्व का प्रथम बालसाहित्यकार माना जाता है। 14 वर्ष की आयु तक बुधभूषणम् (संस्कृत), नायिकाभेद, सातसतक, नखशिख (हिंदी) इत्यादि ग्रंथों की रचना करने वाले संभाजी विश्व के प्रथम बालसाहित्यकार थे। मराठी, हिंदी, फ़ारसी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, कन्नड़ आदि भाषाओं पर उनका प्रभुत्व था। जिस तेजी से उन्होंने लेखनी चलाई, उसी तेजी से उन्होंने तलवार भी चलाई। शिवाजी की कई पत्नियां और दो बेटे थे, उनके जीवन के अंतिम वर्ष उनके ज्येष्ठ पुत्र की धर्मविमुखता के कारण परेशानियों में बीते।
लंबी बीमारी के चलते 1680 में वीर छत्रपति शिवाजी ने दम तोड़ दिया और उनके साम्राज्य को उनके बेटे संभाजी ने संभाल लिया। गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक, यवन-परपीडक, प्रौढ़ प्रताप पुरंधर, क्षत्रिय कुलावातंश, राजाधिराज, महाराज, योगीराज, श्री श्री श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की जय … जय भवानी। जय शिवाजी।
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